THE LIFE LIVE with Emotions.
आनंद ही जीवन का आधार हैं।
लेकिन संवेदना के बिना आनंद प्रकट हो ही नहीं सकता।
जीवन के बहाव में आनंद विशेषतः कारणभूत हैं। इसके बिना तो कई जिंदगियां बिना श्वास थम जाती हैं। या श्वास के साथ भी थमी हुर्ई लगती हैं। आज हम जिंदगी के आनंद क्षेत्र की बात करते हैं। मैं एक विचार रखता हूँ। मेरे साथ आप अपने भीतर सोचिए। आनंद के लिए कुदरत ने जो विश्व आकारित किया है, वो पर्याप्त हैं। हमें कुदरत में जीने की सोच कायम करनी पड़ेगी। लेकिन ये कुदरत- प्रकृति का पारस्परिक नाता मजबूताई खो रहा हैं। हम इन्सान के साथ रहते हैं। सहजीवन की परंपरागत प्रणाली ठीक-ठाक हैं क्या ? रुक्षता से हम रह पाएग़ें- जी पाएंगे क्या ?!
जीवन आनंद के मूलरंग से, मूलमंत्र से ही जीने योग्य बन सकता हैं। आनंद के मूल में संवेदना हैं Emotions हैं। प्रकृतिगत हमारे भीतर लगाव-प्रेम-सख्य संबंध स्थापित हैं। महान ईश्वर का ये unknown software हैं। संवेदन से ही संसार हैं। संवेदन से ही कोई वस्तु या व्यक्ती में लगाव पैदा होता हैं। मनुष्य में ममत्व ऐसे जन्म लेता हैं। अब जहां ममत्व है वहां अनायास ही आनन्द प्रकट होता हैं। और ये आनन्द ही जीवन हैं। इसके बिना जिंदगी क्या हैं ? सोच रहे हैं ना ? शायद मुझसे बेहतर जवाब आपके पास भी हो सकता हैं।
हम सब ज्यादातर बौद्धिक होते जा रहे हैं। जीवन व्यवहार्यता के लिए या ज्ञान प्राप्ति के लिए सब करामाती मंजूर हो सकती हैं। लेकिन आनंदमयता के लिए खुशियों की हर क्षण को अनुभूत करने संवेदनात्मक बनना ही होगा। संवेदना से जिंदगी जिंदा रहेगी। हमें आनंद के साथ अनुस्यूत होकर जिंदा रहना हैं। बरसों में जिंदगी नहीं, जिंदगी में बरसों का बहना।
आनंदविश्व सहेलगाह से मैं येसे कुछ जीवनविचार से भीतरी आवाज को साज देने का प्रयास करता हूँ। संवेदन से प्रेम और प्रेम से ही आनंद…!! बौद्धिकता के लिए उम्र जरुरी हैं। संवेदन के लिए बालक जैसा होना भी पर्याप्त हैं। ईस धरा पर हमसब की बहतरीन आनंद सहेलगाह में सदा-सदा साथ…!!
आपका ThoughtBird Dr.Brijeshkumar.
09428312234
Gandhinagar,Gujarat.
INDIA.
Very good sir 👍👍
Nice dear 👌