Voice of soul.

6
1

 Beliveness in GOD.

The mountain of Spirituality.


Beliveness in GOD

ईश्वरीय मान्यता के बारें में अनेकानेक मत मतांतर स्थापित हो चुके हैं। इसके बारें में कहना ठीक नहीं हैं। जिसकी जैसी मान्यता वैसे उनका जीवनधर्म। विश्व विचार अंतरंगता से भरपूर हैं। इसकी चर्चा में पडे बिना मैं सर्व सामान्य  भीतरी मान्यता की बात करता हूं। 

धरातल पर मूर्त रूप से ईश्वर प्रकृतिगत तत्त्वों से मौजूद है। सारे विश्व की जीवसृष्टी का सख्या-साक्ष अनुबंध प्रकृति से ही हैं। इसलिए इतनी गहराई से हम कहते हैं प्रकृति के पंचतत्व से हमारा सृजन और इनमें ही हमारा विसर्जन हैं। सृजन-विघटन दोंनो प्रकृति के महत्वपूर्ण पहलू हैं। इनमें हमारी सर्वसामान्य मान्यता एक ही हैं ना ?! मनुष्य के रुप में अपने खुद के जीवन को हम सहज ढांचागत प्रणालीबद्ध करते हैं। लेकिन वो प्रणाली ईश्वर की अद्भुत प्राकृतिक संगिती में हैं क्या ? उसकी आकलित रीति व्यक्तिगत रूप से हम पर ही निर्भर हैं। हम जितने प्रकृतिमय होते है उतना सहजता से अपने को ढाल सकते हैं।

महान ईश्वर ने सभी ईन्सानो में सत्य परख की शक्ति समानता से स्थापित की हैं। जिसको हम अंतरनाद कहते हैं,अंतर्मन भी या ह्रदय की आवाज भी..!! इसी कारण सर्व सामान्य विचार पर हमारी सहज सहमति हो जाती हैं। लेकिन कुछ विचारों पर अप्राकृतिक रूप से अडिग हो जाना विश्व की कल्याणक गति में समस्या रुप बनेगा। वैचारिक आक्रमणों से सब भयभीत हैं, हतप्रभ हैं। ईश्वर की सहमति वाली मान्यता में सम्यक दृष्टिकोण सहज निर्मित होगा। अन्य को परास्त करने की पैंतराबाजी से जो पीड़ा उत्पन्न होगी वो अकल्प-असह्य  होगी। शायद अनुभवशीलो की वैचारिक गहराई इनमें ज्यादा होगी।

आनंदविश्व सहेलगाह में सर्व सामान्य जीवन की आत्मिक आवाज की बात रखकर खुशी मिलती हैं। ईश्वर को हरदम महसूस करना भी अध्यात्मिक कदम ही हैं। प्रकृति में विश्वसनीय होकर आनंदित होना भी आध्यात्म मार्ग हैं। ये सबको प्रेम करने का अद्भुत मार्ग हैं। आनंद विश्व सहेलगाह के माध्यम से ऐसे कुछ शब्द-विचार सहजता से आपके लिए नम्रतापूर्वक 🐿


🐣 Your ThoughtBird
🐧 Dr.Brijeshkumar, Gandhinagar.
Gujarat INDIA
dr.brij59@gmail.com
0948312234. 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

One thought on “Voice of soul.

  1. ખૂબ સરસ 👍