ADI-ANANT SHIVA is The Eternal and Internal STRENGTH.
ऊँ पूर्णमद: पूर्णमिदं पूर्णात पूर्णमुदच्यते ।
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते ।।
ये पूर्ण है। ये विश्व पूर्ण हैं। पूर्ण में सें ही पूर्ण आकारित हैं। पूर्ण में से पूर्ण निकालने पर भी पूर्ण ही शेष रहेगा। शिव ही पूर्णत्व धारण किए हुए हैं। विश्व की श्रेष्ठतम आकारितता शिवसंकल्प से ही संभव हैं।
शिव आदि हैं, शिव अनंत हैं, शिव शाश्वत और ब्रह्माण्डीय शक्ति हैं। शिव ध्यान हैं। शिव संकल्प हैं। शिव ही शुभत्व हैं। शिव नृत्य हैं, शिव संगीत हैं।शिव तपस्या हैं। शिव ही आनंद हैं। परमानन्द स्वरुपा शिव ही ब्रह्माण्ड के आदिनाथ हैं। आदि-अंत की एकत्वी संपूर्णता शिव ही हैं।
महान ईश्वर की दुनिया का कालक्रमिक रहस्य शिव हैं। उनकी अनंत सृष्टि का भेद आज भी अक्षुण्ण रहा हैं। अभेद- अविनाशी शिव अनुभूति व आनंदपूर्वक की आराधना हैं। अप्रतिम श्रद्धानंद ही शिवसंकल्प हैं। मनुष्य जीवन के भीतरी परिशोधन की कला शिव से ही संभव हैं।
अनादिकाल से ईश्वरीय संभावनाएँ और निहित तत्वों के बारे में काफी चर्चाएं होती रही हैं। विश्व की सभी संस्कृतियाँ विद्यमान सृष्टि और उसके कर्ता के बारें में संशोधित हरकतों से आज भी प्रयत्नवंत रही हैं। सबके प्रयास से मानव सृष्टि को बहतरीन मार्ग प्रशस्त हुए हैं।
ईश्वर की अदृश्य समष्टि में मनुष्य जीवन का आनंद समाहित हैं। ईस धरातल पर शिवध्यान एकमात्र अद्भुत-अदम्य मार्ग हैं। शिव ध्यान मदहोशी हैं। शिव ध्यान एकांत की पराकाष्ठा हैं। शिव ध्यान परमानन्द का सर्वोत्तम शिखर है। शिव ध्यान जीवन की अद्भुत आकृति का आधार हैं। ईश्वर को सहज ही ऐसी आकृतिओं से अप्रतिम अनुराग होगा। ईश्वर की निर्मिति कालक्रमिक अखंड आनंद की प्राप्ति करें… ये कालपुरुष शिव ही हैं।
शिवोअहं-शिवोअहं की आध्यात्मिक ऊर्जा मनुष्य जीवन की आत्मिक ऊर्जा की आवाज बनकर अनंत आनंद में परावर्तित हो यही शिव संकल्प हैं। विश्व कई शुभसंकल्प शक्तिओं से आवृत्त बनें। विश्व शिव की ध्यानानंद अनुभूति से संवृत बनें। यही संकल्पना के साथ हमारी आनंदविश्व सहेलगाह अनंत खूशीयों से संतृप्त बनें ऐसी शुभकामना…!!
आपका ThoughtBird डॉ.ब्रजेशकुमार
Gandhinagar,Gujarat INDIA
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Om Namah Shivay