When similarity comes in our life,
Body reacted inner Happiness…!
मनुष्य के रुप में हम कईं उम्मीदों को पालते हैं। हमारे भीतर जो चाह उठती हैं, शायद उसी को हम उम्मीद कहते हैं। कुछ पा लेने की जरूरत महसूस होती है तब जीवन कोई सफलता के पडाव पे अपना मुकाम बनाता हैं। और शुरु होती है, एक सफर…उसे में आनंद सहेलगाह कहता हूं।
जीवन में कुछ ऐसा माहोल अंगड़ाई लेता हैं और कुछ नयी उड़ान की तैयारी शुरू होती हैं। मनुष्य के रुप में जब हम पैदा हुए, ईश्वर ने हमारें वर्तन पर ही हमारी उत्कृष्ठ उडान लिख दी हैं। इसे हम भाग्य कहते हैं। या फिर गतजन्म के कर्मफल भी कहते हैं। मुझे तो ऐसा महसूस होता है कि, जब संवेदनाएँ- ईमोशन्स बहतरीन मार्ग प्रशस्त करें तब जीवन की उडान अच्छी लगती हैं। इसके बीना भी किसीको परेशान करके या अपनी बुद्धिमता से कुछ पा लेने की हरकतों से उडान या सफलता पाई जाती हैं। लेकिन उस उडान की ऊँचाई कहाँ तक ? उस उडने वालें को पता..! हमें ऊची उडान की तालीम दी जाती है। उससे एक संकुचित सफर निर्माण होगी। साथ इससे मिलने वाली सफलता का तो क्या कहना ?! उससे जीवनभर की घुटन से ज्यादा क्या मिलेगा ?
जीवन कुछ अच्छी सोच से संवर्धित होता हैं, दूसरों का विचार करते हुए अपने जीवन का मकसद समझ में आता है। प्रकृति की निरव शान्ति में भी गूंज हमें सुनाई पडती हैं। पंछी के गीत के कुछ शब्द बनते हैं, कोई दृश्य आकार धारण करता है। भीतर कुछ अच्छा महसूस होने लगता है। जीवन कोई मकसद को पालता हैं, जिनमें निमित्त कारण का भाव प्रकट होता हैं। तब कुछ आकारित होगा वो बहतरीन होगा। अपना शरीर भी खूबसूरत बननें लगता हैं, मतलब मनुष्य के रूप में जो स्वरूप चाहिए वो सहज निर्माण होगा। ईसे हम खुबसूरती कहते है। ईश्वर के स्पर्श वाली अलौकिक खुबसूरती…!
चलों चलें कुछ ऐसी बहतरीन सफर पे…!