This life like a..precious gem is not easy to come across.
ये जिंदगी जैसे…! बहुमूल्य रत्न,आसानी से नहीं मिलता।
ये ह्रदय को स्पर्श करने वाले शब्द ईशा फाउन्डेशन द्वारा स्वर बद्ध किये भजन-कविता के हैं। ईसे सुनने का मजा लेने की ज़िम्मेदारी आपकी। शब्द और विचार की गहराई को पकड़कर देखे। बहुत आनंद मिलेगा।
Special thanks to ISHA and my favorite SADHGURU
सूफी रोहल फकीर द्वारा लिखित “लीना ह्यू सो” एक कविता है जो लोगों से जीवन के गहरें आयामों में जाने का आग्रह करती है – एक संभावना जो केवल मनुष्यों के लिए उपलब्ध है। कवि व्यक्त करता है कि यह मानव जीवन एक अनमोल रत्न की तरह है, जिसे पाना कठिन है। और यह क्षण वह प्राप्त करने का समय है जो अनुग्रह प्रदान करता है।
कुछ पंक्ति पढें और भाषा समजने का प्रयास भी करें..!
“लीना हुए सो लीजे म्हारा भाईदा रे..!
अब आई लेवन के बेला, रे साधो !
माणको जनम हीरो हाथ नहीं आवे रे..!
फिर भटकत चौरासी रा फेरा रे साधो !
एदो रतन हीरो हाथ नहीं आवे रे !!”
सूफी रोहल फकीर (1734-1804) (सिंधी) एक संत-कवि और रहस्यवादी और परिष्कृत दर्शन के प्रतिपादक थे। जाति से ज़ंगेजा, धर्म से मुस्लिम और व्यवहार से सूफी। उन्हें सिंध में पुनर्जन्म लेने वाला महान संत कवि कबीर माना जाता था। रोहल कवियों और धर्मपरायण लोगों की प्रसिद्ध कंदरी शरीफ जनजातियों के पूर्वज थे। वह प्रसिद्ध शहीद सूफी-संत शाह इनायत के आशीर्वाद से सूफीवाद की ऊंचाइयों तक पहुंचे। अपनी कविता में उन्होंने अहंकार और घृणा को त्यागने और प्रेम के पंथ का पालन करने का अपना संदेश व्यक्त किया है। ‘सूफी रोहाल पहले व्यक्ति थे जिन्होंने मुस्लिम सूफी अवधारणाओं के साथ वेदांतिक तत्वों को जोड़ा।’ अब उनका मंदिर कांद्री शरीफ तालुका रोहरी जिला सुक्कुर में है। (स्रोत: विकीपीडिया)
येसे महान संतप्रकृत को वंदन। विचार की गहराई के साथ समत्व आकारीत होता हैं। मात्र माहिती के लिए रोहल फकीर की बात रखता हूं। सूफीवाद और वेदांतिक मेल की बात भी मैं पहली बार देख रहा हूं। प्लीज, रूढ़िगत मान्यता से गलत मत समजना।
जीवन संभावना हैं। जीवन बहुमूल्य रत्न हैं। जीवन की किमत को समझना भी एक अमूल्य स्थिति हैं। जीवन के स्वर का संधान व्यक्ति को भीतर से न्याल कर देगा। संसार में कईं लोग अपनी पहचान बनाने में सफल होते हैं। एक नईं सोच कारण या नयें विचारों की अभिव्यक्ति के कारण वे कुछ माननीय सुर्खियों को प्राप्त करते हैं। कहीं उनकी असूया भी होती हैं। कभी जन्म के कारण या अन्य कोई वर्गभेद के कारण अवहेलना भी होती हैं। फिर भी जो जीवन की मूल्यता को पकडकर चलता है उनका कतई बूरा नहीं होता। उल्टा वो यूनिवर्स से शक्ति का संचय करता जाता हैं। किसी को हल्का समझने वालों की मानसिकता पर मुझे कुछ नहीं कहना। क्यूंकि वैयक्तिक रुप से मुझे किसी को ठेस पहुंचाने का हक ही नहीं हैं।
जीवन बडी ही जटिल पक्रिया भी हैं। जीवन उलझनों से गिरा हुआ भी हैं। संघर्ष से तपना भी पडता हैं। कईं अनुभवों से एक इन्सान को गुजरना पडता हैं। मैं तो कहता हूं जिनके जीवन में अनुभवों की संख्या ज्यादा उसका जीवन नयें आयाम से स्फूर्त होगा। जैसै जीवन तपन से..तडपन से एक व्यक्ति बहुमूल्यन का अधिकार प्राप्त करता हैं। उसकी टिकाए- निंदाए बहुत होती हैं। फिर भी एक बहुश्रुत जीवन आकारीत होता हैं। संसार येसे कईं चरित्रों से महान व्यक्तित्वों से भरा पडा हैं। सबके जीवन में कुछ अलगता छाई हैं। सबको पीडा मिली हैं, फिर उनके कारण संसार को शाता मिली हैं। जीवन की ये सबसे बडी पारस्परिक आदान-प्रदान की बेला हैं। संसार को कुछ अच्छा देनें की बेला..!
सचमुच, जीवन अनुभव से अनमोल के प्रति यात्रा हैं..!!
आई लव यू जिंदगी !!
आपका ThoughtBird. 🐣
Dr.Brijeshkumar Chandrarav
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