The secret of your future is hidden in your daily routines.
आपके भविष्य का रहस्य आपकी दैनिक दिनचर्या में छीपा हैं।
सांप्रत समय में सोशल मीडिया को सब ज्ञान की युनिवर्सिटी कहते हैं। कभी इस ज्ञान को फेक कहकर नकारा जाता हैं। लेकिन मैं कहता हूँ; जिनको जो पसंद है वही चूनता हैं। सबके मन की एक वैयक्तिक सोच होती हैं। सब इनके मुताबिक इधर उधर हो रहे हैं। सालों पहले एक एडवर्टाइज मैंने देखी थी। “शौच वहाँ शौचालय” मैं इसे ऐसे पढता था। ‘सोच वहां शौचालय’ शायद, ये टॉयलेट की जरुरियात के बारें में विज्ञापन था। विद्या बालन उस एडवर्टाइज की एक्ट्रेस थी।
“सोच वहाँ शौचालय” शब्द का फर्क पकडना पड़ेगा। ‘शौच और सोच’ मैं सोच ही सुनता और विचार करता सोच भी पवित्र होनी चाहिए। वो भी बदबूदार होगी तो जीवन शौचालय जैसा लगेगा।
आज मैंने यहां दिये गए चित्र में लिखे हुए उत्तम शब्द को समझा और जो समज मैं आया वो आपके समक्ष रखता हूं। पसंद मेरी होने के बावजूद आपको भी पसंद आएगी..! सुबह होती हैं; अपनी नींद खुलती हैं। सारीं यादें, सारें काम से हम फिर झुट जाते हैं। दिनचर्या में हवा-पानी खुराक भी संमिलित हैं। व्यवसाय के अनुरुप कार्य संगति चलती रहती हैं। आनंद, उत्साह और हर्षोल्लास की पूरे दिऩ की सहेलगाह होती रहती हैं। कोई आज के लिए कार्य करता हैं, कोई कल के लिए। कोई आनेवाले जन्म या आनेवाली पीढियों के लिए काम करता हैं। कोई एक दिन के खाने के लिए भी काम करता हैं। कोई पसीना बहाने के बावजूद भूखा रहता हैं। कोई ठंडाई में बैठे आराम से काम करता हैं। किसी को खाने के लिए भी फुर्सत नहीं हैं। ये सनातन सत्य की बातें हैं।
हम भविष्य को नहीं जानते फिर भी आश लगाए बैठे हैं। कुछ न कुछ अच्छा आकारित होगा। आज नहीं तो कल बहतर होगा। सब लोग इसी आशा में कार्य करते रहते हैं। फिर रात आती हैं; थकान सुकुन में बदल जाती हैं। जीवन का पूरा भार कहीं ओर चला जाता हैं। आनंद की गहराई में रात बह जाती हैं। सपनों की दुनिया की सैर में हम पड जाते हैं। फिर सुबह होती हैं, अनेकानेक जिंदगियां चल पडती हैं, अपने-अपने मुकाम पर..!
मूल बात अपने आनेवाले कल के बारें में ये है; की हमारी दिनचर्या क्या हैं ?हमारी दैनंदिन कार्यशीलता किस प्रकार की हैं। उससे हमारा भविष्य निर्माण होगा। सुबह-शाम के इस खेल में सब संमिलित हैं। पेड़, पौधे, पंछी प्राणी और हम मनुष्य भी..! लेकिन मैं बात मनुष्य की करता हूं। हमारी सोच पर हमारें कार्य निर्भर करते हैं। और इस कार्य की सहेलगाह धीरे धीरे एक अनूठे व्यक्तित्व का निर्माण करती हैं। आज हम जो कुछ है; वो हमारी दैनिक कार्यशीलता के आधार पर हैं। जीवन का आकार बनने की ये अदृश्य घटना हैं। फिर भी हैं बड़ी नक्काशीदार..! ये हैं हमारा कल हमारा भविष्य..!
आज हम जिस प्रकार के समय में जी रहें हैं, उसीके जरिए ही सीखना पड़ेगा। आज मोबाइल इन्टरनेट के समय में उसमें से हमारी जीवनचर्या ढूंढनी होगी। उसमें से मेरे लिए क्या अच्छा हैं ? वो ढूँढने की जिम्मेदारी भी हमारी खुद की हैं। एक अच्छे वाक्य ने मुझे मेरे ब्लॉग का विषय दे दिया। मैं इससे अपनी विचार क्रिया को प्रकाश में ला रहा हूँ। इसका आनंद प्रकट करते हुए…हम सब के नये साले की गति में विचारपुष्प रखता हूँ।
आपका ThoughtBird 🐣
Dr.Brijeshkumar Chandrarav
Gandhinagar, Gujarat
INDIA
Dr.brij59@gmail.com
+91 9428312234.
Good
Excellent
सोच बड़ी चीज है…बहुत खूब डॉ.ब्रजेशकुमार
आभार जी