Finding a man.

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 The true man is revealed in

difficult times.

EPICTETUS

सच्चे इंसान का पता चलता है, मुश्किल की घड़ी में।

एपिक्टेटस हेलेनी काल के एक युनानी दार्शनिक थे। वह हिरापोलिस फ्रिगिया में सन् 50 ईस्वी में पैदा हुए थे। अपने निर्वासन तक रोम में रहे बादमें उत्तर पश्चिमी युनान के निकोपोलिस में रहने चले गए। इनके बारें में पहेले भी मेरा ब्लॉग हो चुका हैं। लेकिन वह अलग विचार पर था। एपिक्टेटस संवेदनशीलता की मर्यादा हैं, गुलामी को सहकर अपनी भावनाएं बरकरार रखना ये कोई सामान्य घटना नहीं हैं। उनके एक वाक्य में जीवन का वास्तविक दर्शन मिलता हैं।

मुश्किल की घड़ी से सबको गुजरना पडता हैं। विश्व का एक भी व्यक्ति इससे अछूता नहीं होगा। सबको छोडी-बडी तकलीफ़े झेलनी पडती हैं। पीड़ा के बिना प्रगटन व संवर्धन भी फिका होगा। संसार में सभी लोग किसी एक के सहारे या किसी की मदद या सांत्वना के बल पर उठ खडा होता हैं। साथ एक तथ्य-सत्य ये भी ध्यान में आता हैं, कि मुश्किल समय पर सब छूटते जाते हैं। सबको एक साथ भरोसा उठाता हैं। व्यक्ति अकेला पड जाता हैं। वो तूटता हैं, बिखरता हैं। खुद को खुद ही संभालने की वो घडी आती हैं। कोई अपने आप संभल जाता हैं। कोई किसी के सांत्वना भरे शब्द और साथ से संभल जाता हैं। शायद ईश्वर की ये लाज़वाब योजना होगी। इसमें कौन टीक गया कौन छूट गया..!

जो टिकता है वो सबसे करीब होगा। उसको आप से लगाव होगा। एक बेनाम रिश्ता भी उनसे होगा। संबंध की गरिमा वहाँ बरसों से  स्थापित होगी। तभी तो कोई रुकेगा। उनके पास न होंगे बहाने या न होगा कोई कारण..बस होगा साथ !! संसार में ऐसे लोग बहुत कम होते जा रहें हैं। क्यों ऐसा हो रहा है, मुझे पता नहीं। जितना आप जानते हैं ईतना ही हम जानते हैं। ईश्वर सबकुछ जानते हैं लेकिन कुछ कहते नहीं। वो देखते रहते हैं। वो हमें इस मुश्किल घड़ी से निकालेंगे भी ! हमारी आंखे खोलते हुए सिखायेंगे भी..कौन तेरे साथ खडा हैं ?

हमें जो याद रहता हैं, उनमें मुश्किल वक्त सबसे उपर याद रहता है। किसी को अपना मुश्किल वक्त याद ही नहीं वो इस ब्लोग को कृपया न पढें। ये उन लोगो के लिए बिल्कुल नहीं हैं। पीड़ा और संवेदना के बिच बहुत गहरा संबंध हैं। किसी दिन ईस विषय पर अलग ब्लोग लिखेंगे। आज तो कौन खड़ा हैं साथ मेरे..!

मुश्किल की घड़ी में जो सच को लेकर चलता हैं वो खडा रहता हैं। या अपने पर हुए उपकार याद हैं वो खड़ा रहता हैं। या फिर अपने दिल में निःस्वार्थता भरें जी रहा हैं, वो ईन्सान दूसरें की मुश्किल समझकर हरदम खड़ा रहेगा। उसको ये भी पता हैं, कभी मैं भी इस घड़ी में पड सकता हूं। मुझे भी कहीं ना कहीं, किसी न किसी के साथ की आवश्यकता होगी। मतलब पारस्परिक संबंध की गहराई निभाने की बात हैं। मुझे समझ में आता है की मुश्किलों में हौसला बनाए रखने के लिए भी एक मनचाहा साथ चाहिए। लेकिन ईसकी अपेक्षा पूरी करने के लिए कहां जाए ? ऐसा कोई रिश्ता होगा भला ?

सबके अपने-अपने रिश्ते होते हैं। और अपने-अपने खयालात..!!

आपका ThoughtBird 🐣

Dr.Brijeshkumar Chandrarav.

Gandhinagar, Gujarat.

INDIA

dr.brij59@gmail.com

9428312234 

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11 thoughts on “Finding a man.

  1. Good thoughts rights all word

  2. Very good 👍

  3. બધાની વાત કરી.મદદ જરુરી બન્ને વચ્ચે.

  4. ખૂબ સાચું

  5. Good thought

  6. જીવન ઋણી છે સુંદર સમજ ડોક્ટર સાહેબ

  7. આપણ ને વિચાર કરતા કરે તેવી વાત લખી સાહેબ

  8. Thanks my dear friends…write name please on comment.

  9. Wah sir very nice

  10. दोस्त, अपेक्षा ही सारे दुखों की जड है। एक दो लोग ही होते है जो आपको समझते हैं और आप के सम विषम समय में साथ खड़े होते है।