Increase your life with inclusion.

1
2

 प्रेम और समावेश से ही जीवन का उत्कर्ष हैं।

When you become free from the meanness

of the mind, an indiscriminate sense of

love and inclusion arises..!
SADHGURU.

“जब तुम मन की निरर्थकता से मुक्त हो जाओगे तब अंधाधुंध

प्रेम और समावेश की भावना उत्पन्न होती है।”

जीवन कोई बेहतरीन गति प्राप्त करता हैं तो सबकी नजरों में छा जायेगा। जीवन के बारें में ईश्वर की कोई योजना होगी। ऐसे कोई मनुष्य पैदा नहीं हुआ। अरे! धरती का एक मात्र जीव भी अकारण पैदा नहीं हुआ। ईश्वर की इस योजना में विश्वास है तो जीवन में कुछ करना ही पड़ेगा।

लेकिन जीवन की ये गति कहां से प्राप्त होगी ?

उन्नत जीवन की प्राप्ति कैसे हो सकती हैं ?
Love and inclusion

कोईम्बतुर तमिलनाडु में वेलिंगिरि पर्वतों के बीच १५० एकड में फैला हुआ ईशा योग केंद्र हैं। जग्गी वासुदेव जिनको सब सद्गुरु के नाम से जानते हैं। वे ईशा योग केंद्र के स्थापक हैं। ये केंद्र स्वैच्छिक मानव सेवा संस्थान के रुप में कार्यरत हैं। सद्गुरु संयुक्त राष्ट्रसंघ की आर्थिक व सामाजिक काउन्सिल के खास सलाहकार पद पर नियुक्त हैं। उन्होंने आठ से दस भाषाओं में सो से ज्यादा पुस्तक लिखे हैं। में ये बात इसीलिए बता रहा हूं की ब्लोग के टाइटल के शब्द उनके हैं।

आध्यात्मिक चेतना एवं आत्मिक आवाज से उठे हुए शब्द हमारे मन-मस्तिष्क को झकझोरते हैं। मन की निरर्थक दौड से बचना हैं, मुक्त होना हैं। तब जाके हमारे भीतर प्रेम व समावेश की भावना उत्पन्न होती हैं। प्रेममय ह्रदय की असर के बारें में और उनके परिणाम के बारें में काफी कुछ लिखा गया हैं। ये अनुभूति का भी विषय हैं।

समावेशी आयाम जीवन का एक बहतरीन मोड हैं। अपने जीवन में, अपनी पसंद-नापसंद में, अपनी दिनचर्या में, अपनी सोच में साथ ही अपने गुण-अवगुण के साथ दूसरें व्यक्ति का स्वीकार करना हैं। ये समावेशी जीवन हैं। खुद को बदलने की कोशिश ही समावेशी वर्ताव हैं। अपना जीवन एकाकी न रहकर समूह में शामिल हो उसे समावेशी जीवन कहते हैं। एक बूंद का सागर में घुलमिल जाना समावेशी का उत्तम उदाहरण हैं। हजारों-लाखों किरनें एकत्रित होकर प्रकाश व तेज का संपूर्णरुप धारण करती हैं, ये भी समावेशी घटना का उदाहरण हैं। “मैं से हम” तक की सफर को हम समावेशी जीवन गति कह सकते हैं।

समावेशी जीवन की आवाज हमारे भीतर से कायम उठती हैं। लेकिन स्वार्थवश हम उस आवाज को उठने नहीं देते। या फिर वो आवाज हमें बहार के शोर में सुनाई नहीं देती। कुछ गलती हमारी व्यक्तिगत हैं, कुछ गलती हमारें समाज में फैली संकुचितता की हैं। कुंठा में समावेश का प्रगटन होना मुमकिन नहीं। सबको उन्नति पसंद हैं। हम सब को इन्क्रिज होना हैं। उन्नत जीवन की वाहवाही सबको पसंद हैं। लेकिन जीवन उत्कर्ष की मूलभूत बातें “प्रेम व समावेशी” से हम क्यों दूर जाते हैं ?! मेरा काम बस सवाल खडा करना हैं। सब के भीतर अपने-अपने उत्तर समाहित हैं। धीरें से उस आवाज को सुनने का प्रयास करें। मजा जरूर आएगा..!

आपका ThoughtBird 🐣

Dr.Brijeshkumar Chandrarav

Gandhinagar, Gujarat

INDIA.

dr.brij59@gmail.com

9428312234

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

2 thoughts on “Increase your life with inclusion.

  1. Love is eternal and inclusion is essential

  2. Please write name with your comment.