Excellent language of the universe.
Music, Love and Silence.
सर्वोत्तम भाषा जो पूरे ब्रह्मांड के लिए एक ही हैं।
वैविध्यता से भरा विश्व। भाषा-भूषा से अतिरिक्त अनेक जीवन पद्धतियों से भरा हमारा विश्व। खानपान, रहन-सहन और भाषा की उत्तम लिखावट भी एक वैविध्य हैं। ईश्वर की अदृश्य परंपरा में भिन्नता के साथ कहीं न कहीं एकत्व प्रकट हो ही जाता हैं। क्योंकि पूरें ब्रह्मांड को चलानेवाली शक्ति एक ही हैं। जिसे आप जो नाम देना चाहें !!
आज में युनिवर्स की तीन ऐसी बातों के बारें में लिख रहा हूँ। वो आपको पता होने के बावजूद भी अच्छी लगेगी। विश्व की उच्चतम तीन भाषाएँ..! संगीत, प्रेम एवं मौन..! सबकी अपनी भाषा। और सबको समज में आ जाए ऐसी सरल भी। कुछ बोले बिना केवल महसूस करके भी समझ में आ जाए। ये ईश्वर का गहन स्पर्श वाली परिभाषा हैं। इसमें बनावट तुरंत ही पकड में आ जाएगी। चलों, शुरु करें एक-एक शब्द पर अलग-अलग थोड़ी बातें..!
सृष्टि में संगीत एक अलौकिक वरदान से कम नहीं। संगीत एक कला हैं, साधना हैं। संगीत में धडकनों का मिलना सहज हो जाता हैं। स्वयं ईश्वर की मर्ज़ी संगीत के प्रगटन में हैं। तभी तो संसार की जीवंतता पर उसकी असर हैं। प्रकृति और वनस्पति पर भी संगीत की असर होती हैं। संगीत वो भाषा हैं, जो सुने वो समझे। शायद कोई शब्द के बीना भी कुछ महसूसी की असर प्रकट होती हैं। प्रकृति में तो संगीत संभृत हैं। प्रकृति संगीत से संवृत हैं। ये प्रभु का हल्का स्पर्श हैं ! जो कान के जरिए हमारें दिलों में उतरता हैं। एक पंछी के गीत की कोई भाषा नहीं होती। एक भँवरें की गूंज में कौन-सा संगीत हैं? पर्वतों के शिखर से गिरता झरना या कोई कलकल बहती नदी मैया..! उनकी हल्की आवाज या साज कौन-सी भाषा में हैं ? ये संगीत हैं, हम सब ये जानते हैं, फिर भी आज अचंभित होना हुआ ना ? इस भाषा के चमत्कार समझ में आ गये ना ?
विश्व की एक ओर दूसरी भाषा प्रेम है। प्रेम हैं वहां सहज ही आर्द्रता स्थापित हो जाएगी। अपने अस्तित्व से ज्यादा दूसरें की फिकर ये प्रेम हैं। स्व स्वाहा: तब बनता है जब प्रेम आकार धारण करता हैं। ये संपन्नता- साम्यता से उपर एकात्म का उत्कृष्ट भाव हैं। इसमें भी ईश्वर की ही मर्ज़ी कारणरुप हैं। इसी कारण दो दिलों की भाषा एक दूसरें में समाहित हो जाती हैं। और एक नई समझ पैदा होती हैं। संसार में उत्क्रमित जीवन शैली इसी कारण दृश्यमान होती हैं। साथ ही प्रेमतत्व की भाषा सुलझने लगती हैं। प्रेम समझने से ज्यादा जीने की चाह हैं। जब जीने का कोई मकसद स्फूर्त होता है तो मानो, प्रेम का प्रकटन अवश्य हुआ हैं।
विश्व की एक तीसरी भाषा मौन हैं। ये बोलने में सहज शब्द हैं। परंतु इसका अनुसरण सबसे कठिन हैं। मौन हो जाना कोई सामान्य घटना नहीं। जीवन करुणामय अवस्था पर पहुंचता हैं, तब सहज ही भीतर में कुछ परिवर्तन के अंश अंकुरित होते हैं। फिर व्यक्ति मन ही मन एक उम्मीद को पालता हैं। आध्यात्म की अद्भुत असर के तले एक व्यक्तित्व प्रगट होता हैं। मौन का एक साधक अपने भीतर की आवाज से बातें करता हैं। इससे कारण सम्यक दृष्टि निर्माण होती हैं। तब वो मानुष मौन से ही संवृत हो जाता हैं। व्यक्ति सहज बनता जाता हैं। मनुष्य जीवन का ये एक उत्तम मार्ग कहलाता हैं। ईश्वर की आवाज सुनने का एक सुंदर मार्ग मौन हैं।
इन महान शब्दों का थोड़ा-बहुत अर्थ मेलजोल करने का प्रयास करता हूं। “आनंदविश्व सहेलगाह” अपनी इस वैचारिक यात्रा में कुछ विशेष प्राप्ति करते हुए संगीतमय हैं, प्रेममय हैं अब मौन भी..!
आपका ThoughtBird.🐣
Dr.Brijeshkumar Chandrarav.
Gandhinagar, Gujarat.
INDIA
dr.brij59@gmail.com
9428312234
Silence is the best to enlighten the self.
Good article
Beautiful blog
Very nice
ખુબજ સરસ વાચન ભાથુ
इस तीन शब्दो की कमाल देखी़।
Good thoughts.
Mesmerizing words