The Ram is an ideal principle of India.
विश्व को आदर्श व सिद्धांत भेट करनेवाले…राम !
जीवन की सर्वोतम मर्यादा का शिखर हैं..राम !
आज भारत राममय हैं। भारत का आध्यात्मिक आत्मा जाग उठा हैं। आज हमारी चौखट पे राम आए हैं, हमारे सरकार आए हैं। भारतभूमि भावनाओं का भंडार हैं। मैं नहीं तुं ही ! मेरा मात्र कर्म, फल देने का काम ईश्वर का..! मैं निमित्त मात्र हूं ये भाव ही भारत वर्ष का प्राणतत्व हैं।
श्रीराम राम रघुनन्दन राम राम।
श्रीराम राम भरताग्रज राम राम।
श्रीराम राम रणकर्कश राम राम।
श्रीराम राम शरणं भव राम राम ।।
हे रघुनन्दन श्रीराम ! हे भरत के अग्रज भगवान राम ! हे रणधीर, मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम! आप मुझे शरण दीजिए।
रघुनन्दन श्री राम व्यक्ति जीवन, परिवार, प्रजा और आत्मा का समांतरण हैं। एक क्षितिज पर सारी भूमिकाएं सिमटकर आ जाती हैं, संसार का कल्याण मात्र उनका जीवन उद्देश्य हैं… वो हमारें रामजी हैं। वो हमारा आनंदधन हैं। वो हमारा आत्मिक सुख हैं। श्रीराम हमारे भीतर बजती रहती धडकन का संगीत हैं। एक युग के निर्माता राम हैं। आदर्श पालन की मिसाल हैं..हमारे राम। माता कैकेयी के हठाग्रह से राम को वनवास मिला था। फिर भी श्रीराम को लगता हैं। वनवासी लोगों को शायद मेरी आवश्यकता ज्यादा होगी। इसी कारण निर्मिति ने माँ के पास ऐसा व्यवहार करवाया हैं। जीवनभर रामजी ने माता कैकेयी का तलभार भी कटु नहीं सोचा। अपने भाईओं के साथ का व्यवहार तो अप्रतिम हैं। सभी के प्रति श्रीराम श्रद्धेय रहे हैं। संदेह से परे का जीवन जीने वाले हमारें राम प्रभु..!
पूरे विश्व को आदर्श की परिभाषा श्रीराम ने दी हैं। मनुष्य जीवन और एक राजा की भूमिका का आदर्श व्यवहार रामजी ने सिखाया हैं। रामजी के बारें में कितना कहें ? हमारे पास उनको समझने की मर्यादा हैं। बस,उनकी जीवन लीला में श्रद्धेय बनें रहना हैं। आज के माहोल में हमारे वडाप्रधान श्री. मोदीजी की अप्रतिम श्रद्धा-भक्ति को भी याद करता हूं। राम लल्ला की मूर्ति प्रतिष्ठान की अवधी पर उन्होंने भी व्रत रखे हैं। सुना है, वो सात दिन धरती पर लगाए एक बिछाने पर ही सोएगें। ये हमारे भारत का महान सांप्रत हैं।
रामरक्षास्तोत्र का एक ओर श्लोक से श्रीराम की वंदना करता हूं।
श्रीरामचन्द्रचरणौं मनसा स्मरारामि।
श्रीरामचन्द्रचरणौं वचसा गृणामि।
श्रीरामचन्द्रचरणौं शिरसा नमामि।
श्रीरामचन्द्रचरणौं शरणं प्रपद्ये ।।
मैं एकाग्र मन से श्रीरामचंद्र जी के चरणों का स्मरण और वाणी से गुणगान करता हूं। वाणी द्वारा और पूरी श्रद्धा के साथ भगवान रामचन्द्र के चरणों को प्रणाम करता हुआ,मैं उनके चरणों की शरण लेता हूं।
आज २२ जनवरी २०२४ का दिन बडा पवित्र हैं। भारतवर्ष की सनातन परंपरा का विजयोत्सव हैं। और उस पवित्र दिन पर “आनंदविश्व सहेलगाह” का एक छोटा-सा निमित्त यानि मैं ब्लोग लिखकर रामजी की कृपा प्राप्त करने का प्रयास करता हूं।
आपका ThoughtBird. 🐣
Dr.Brijeshkumar Chandrarav.
Gandhinagar, Gujarat.
INDIA
dr.brij59@gmail.com
9428312234
Ramo rajamani Sada Vijay.
Apno pan Vijay thase.
Adarsh murti ram
Ram ni krupa bani raho