The knowledge and Ignorance.

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Science is the father of knowledge,

But opinion breeds ignorance.


Hippocrates.



ज्ञान और अज्ञान के बीच से
प्रशंसा…सफलता एवं विफलता का जन्म होता हैं।

आज कुछ लिखने से पहेले ग्रीस के “हिपोक्रेट्स” के बारें में थोडी-बहुत जानकारी रखता हूं। जो मॉर्डन मेडिकल सायन्स के जनक हैं। एलोपैथिक मेडिसिन्स और ट्रीटमेन्ट के प्रणेता हैं।



Hippocrates considered to be the “father of modern medicine”.because in his books, which are more than 70. he described in a scientific manner, many diseases and their treatment after detailed observation. He lived about 2400 years ago.

Hippocrates

विज्ञान अनुभव और तथ्य से झुडा है। विज्ञान प्रत्यक्ष ज्ञान से झुडा है, साथ ही अथक ऑब्जर्वेशन विज्ञान का आत्मा हैं। अनुमान और अभिप्राय से परे जो कुछ ज्ञान प्राप्त होता हैं उसे हम विज्ञान कहते हैं।


इसीलिए हिपोक्रेट्स कहते हैं, “विज्ञान ज्ञान का जनक है लेकिन मत अज्ञान को जन्म देता हैं।” अपने ही मत-अभिप्राय की श्रेष्ठता साबित करना मूर्खता हैं। विचार-अभिप्राय जीवन की फिलसूफी से प्रकट होते हैं। किसी दूसरें की प्रतिभा से भी अभिप्राय दृढ बनता हैं। इसमें तथ्य-सत्य की वैधता-वर्यता-श्रेष्ठता भिन्नभिन्न हो सकती हैं। फिर भी हम सत्य को तथ्य को ज्यादा पसंद करते हैं। स्पष्टता और तटस्थता की बात ही कुछ ओर होती हैं। विज्ञान इसी मार्ग पर चल रहा है, इसी कारण इससे हम अचंभित भी ज्यादा होते हैं। सही हैं ? साॅरी ये मेरा मत है एसा हरगिज़ दावा नहीं हैं। ये मेरा सहज निम्मित कर्म हैं।
Always human being likes fact. तथ्यों से हमारी पसंद एवं नापसंद झुडी हैं…तंतोतंत ! अनुस्यूत !

जीवन का भी एक विज्ञान हैं। मनुष्य जीवन ही एक दृश्यरूप तथ्य हैं। जन्म से लेकर मृत्यु तक का क्षण-क्षण का परिक्षण..! जीने के अद्भुत श्वास की दौड…बहतर बनने की होड…इसके दौरान जो आनंद मिले वो ही सत्य-तथ्य !! जीवन ज्ञान के बिना ठीक-ठाक नहीं कहलायेगा। जीवन भी अज्ञानता से कलुषित हो उठेगा।

जीवन को कैसे संभाला जाए ?
किस तरह की झडीबुटी से इसका संवर्धन किया जाए ?
कईं मत मतांतर से घिरे हुए हम क्या करें ?
भीतर की आवाज को सुनने को किसी एकांत की खोज कहां ?
कईं सवालों के समाधान के लिए कहां जाए ?

थोडी-बहुत बात मैं सोचता हूं। यहां प्रस्तुत करता हूँ। जैसे विज्ञान तथ्यों पर आधारित हैं, बाद में सिद्धांत स्थापित करना विज्ञान कर्म हैं। वैसे ही जीवन के भी प्राकृतिक सिद्धांत हैं। इसलिए जीवन भी एक अनोखे विज्ञान की भाँति हैं। “जीवनविज्ञान” का एकमात्र तटस्थ रसायन प्रेम ही हैं। एक अनमोल परमाणु की भाँति “प्रेमपदार्थ” की भी अद्भुत कीमत हैं।

जीवन की अद्भुत आनंदलीला स्नेह-लगाव-प्रेम-सख्य के साथ समर्थन

और समपर्ण से संभवत हैं। ईश्वर का “अद्वैतानंद” विद्यमान विश्व…! ‘अद्वैत’अद्वितीय हैं। एकत्व का संदेश ईश्वर की अद्भुत परंपरा हैं, जीव-जगत का आधारभूत सिद्धांत !!  ईश्वर अदृश्य होकर भी अद्वैत को स्थापित करने हेतु प्रयत्नवंत हैं। कुछ तथ्य को पाने के बाद शायद जीवन की अमूल्य झडीबुटी, एकमत का रसायन, एकांत का आनंद और सवालों के समाधान हमारे भीतर हैं, ऐसा प्रतीत होता हैं।

जिस तरह विज्ञान की ज्ञान प्राप्ति की सफर खूबसूरत हैं, कल्पनातीत हैं। “जीवनविज्ञान” को अनुभूत करने की सहेलगाह भी दमदार बनें ऐसी शुभकामनाएँ !!

आपका ThoughtBird.🐣

Dr.Brijeshkumar Chandrarav

Gandhinagar,Gujarat.

INDIA.

dr.brij59@gmail.com

09428312234.


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