“We are what we repeatedly do.
Excellence, then, is not an act,
BUT A HABIT……!” Aristotle.
निरंतरता सफलता का मूलमंत्र हैं। ग्रीक फिलसूफ द ग्रेट ऐरीस्टोटल का ये प्रसिद्ध क्वाॅट हैं। हम जो निरंतर करते हैं, वो कार्य निपूर्णता के साथ आदत में परिणमित हो तो कैसा ? जिन लोगों ने अपने अपने क्षेत्रों में जो विशिष्ट कारनामें किए हैं वो येसे ही नहीं हुए। उन लोंगों की सोच में कुछ अनोखे किस्म के केमिकल्स पैदा होते हैं। उनका काम एक धून से, कुछ आराधना के पल से या कर्म साधना से कम नहीं होते ! कुछ करने में महारत येसे हांसिल नहीं होती।
एक भजन की कुछ पंक्तियों इस ब्लॉग के साथ बहुत अच्छी लगेगी।
मुझे बहुत पसंद है आपको भी जरुर आनंद देगी..श्रद्धा पूर्वक..!
गीत गुजराती भाषा में हैं,शब्द पकडने में दिक्कत आए तो माफ करना थोडा प्रयास करना समज में जरूर आएगा। व्यक्ति अपने जीवन की गति को कितनी बखूबी से, अपनी ही मर्ज़ी से मनचाहा मुकाम देने सक्षम हैं !! नित्य निरंतर व एक निष्ठ होकर अपने कार्य के प्रति प्रतिबद्ध होकर आनंदित मार्ग का दमदार निर्माण करना करामात से कम हैं क्या ? बेशक यह करामाती संभव हैं। मेरे लिए आपके लिए और संसार के कोई भी के लिए…! आनंद मार्ग अनुसरण के नित्य प्रवासी के लिए ये जरूर संभव हैं। संभव और असंभव के बीच की दूरी, व्यक्ति की सोच पर निर्भर करती हैं। ओर जहां सोच हैं वहां ही जीवन्तता हैं, वहीं पर कुछ नयापन अवतरित होगा..जरूर होगा !! आदतें बूरी नही होती…कभी उनका शानदार प्रदर्शन भी होता हैं। सबके जीवन में काम का महत्वपूर्ण स्थान हैं। अपनी सफर का कार्य निपूर्णता के मार्ग से गुजरता एक बहतरीन आदत के मुकाम को हासिल करे ऐसी शुभकामना..!
“आनंदविश्व सहेलगाह” जीवन-विचार-आनंद और प्रेम की बात को लेकर आपके सामने चार-पांच दिनों के अंतरों में पब्लिश होता हैं। मेरा ब्लॉग मेरी समज से बहार मेरी कल्पना से आगे कुछ दमदार कदमताल कर रहा हैं। डेढ लाख से अधिक व्यूअर्स से…आनंद महसूस होता हैं…ये मेरा जन्मदत्त कर्म हैं, उसे सहज निभाए जा रहा हूँ… It’s my own चरैवेति चरैवेति..!