THE JAGANNATH.

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 The Jagannath Yatra..LIVELY and LOVELY Incidence of Spiritual Hearts..!

जीवंत और मनोरम्य घटना है जगन्नाथ यात्रा !!

सारें विश्व में ऐसी अद्वितीय घटना कहीं नहीं। भगवान जगन्नाथ की यात्रा। अलौकिक उत्सव के रुप में रथयात्रा मनाई जाती हैं। ईश्वर की अनन्य अनुभूति का अवसर रथोत्सव..! भारतवर्ष के सभी उत्सव मानवमन के उत्कर्ष के लिए हैं। जगन्नाथ…Supreme power of universe. उनकी  यात्रा हैं। भारत की आत्मा ही आध्यात्म हैं। मूर्तिमंत भगवान की उपस्थिति का अनहद आनंद ये भारतवर्ष का प्राण हैं। अनन्य अवसर पर ईश्वर से विश्व के कल्याण के लिए कुछ मांगे..!


हर त्वं संसारं द्रुततरमसारं सुरपते
हर त्वं पापानां विततिमपरां यादवपते।
अहो दीनानाथं निहितमचलं पातुमनिशं
जगन्नाथ: स्वामी नयनपथगामी भवतु मे ।।
हे देवाधिपति !
आप हमारे असार संसार का सत्वर नाश करें। हे यादवपति! मेरे पापों के समूह का विनाश करें। दीन और अनाथ मनुष्यों की रक्षा में आप दृढ है येसे सर्व के स्वामी जगन्नाथ मुझे दृष्टिगोचर हो।

Jay jaganath.

विश्व अनेकानेक परंपराओं से मान्यताओं से धर्म की विभिन्नताओं से संवृत हैं। सबकी भूमि एक हैं, सबकी अपनी अपनी मान्यताएँ हैं फिर भी इसका स्वीकार  करना भी बडी बात हैं। जहाँ स्वीकार हैं वहीं शाश्वत परंपराएं टिकती हैं, और जहाँ अस्वीकार हैं वहीं से अराजकता आकारित होती हैं। सबको अपनी मान्यता में जीने का अधिकार तो ईश्वर की प्रकृतिगत सिद्धांत की अवधारणा में समाहित हैं। ओर प्रकृतिगत कार्य में अड़चन करने के नतीजे हम भलीभाँति जानते हैं। 

भगवान जगन्नाथ की यात्रा.. मैं हूँ की यात्रा हैं। ये यात्रा ईश्वर के अदृश्य अस्तित्व का सहज स्वीकार हैं। ये यात्रा दुनिया चलाने वाली शक्ति का सामर्थ्यगान हैं। भगवान जगन्नाथ के साथ बलभद्र और बहन सुभद्रा भी हैं। बंधुत्व का इससे बेहतर उदाहरण हैं क्या ? ये संबंध का भी उत्सव हैं। साथ चलने का भी उत्सव हैं। हमारे लिए अनुभूति का अवसर हैं। मानवता के एकत्व का संदेश भी भगवान जगन्नाथ की यात्रा से झुडा हैं। इस यात्रा को  समष्टि के कल्याणक भाव से देखें तो बडा अचरज होगा। ये धार्मिक-सांस्कृतिक-अध्यात्मिक-वैचारिक-स्वास्थ्य-संयोगिक व आनंद की अद्भुत सहलगाह ही हैं। यात्रा में सबकी समानता का भाव हैं। सबके अपने-अपने नृत्य हैं, कलाकरतब हैं। सबको निमित्त का अचरज हैं…इसलिए यहाँ ही जहाँ हैं। जगन्नाथ के संग संग..!

ईश्वर को भी हमारे बीच घूमना हैं। उनको भी मनुष्य की तरह मनुष्य में जीना हैं। निजी संबंध का गौरव उनको भी जरूर अच्छा लगता हैं। प्रभु की इस यात्रा में वैयक्तिक लालसा से परे केवल आनंद की अनुभूति का दृश्य हरसाल खडा होता हैं। भारत के उडीसा राज्य के पूरी की तो बात ही अलग हैं। कईं जगह जगन्नाथ की यात्राएं निकलती हैं। इसके साथ मॉनसून के आगमन की बधाई का आनंदपर्व हैं। नये साल की उर्जा अर्जित करने का उल्लास भी इस यात्रा से जुड़ा हैं। भगवान नईं शक्ति के संचार से हमें भर दें। फिर एक नये साल का आगमन…आनंद से भरा हो।
इसी उम्मीद के साथ…!

आपका ThoughtBird

Dr.Brijeshkumar Chandrarav

Gandhinagar, Gujarat.
INDIA.
dr.brij59@gmail.com
09428312234

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