मुसाफ़िर की कहानी…!
कदम कदम पे कठिनाई हैं।
ज़िन्दगी का बोझ लिए वही रफ्तार ! फिर भी !
“कदम कदम उठाए जा”की दमदार सफर बरकरार हैं।
हर कदम में दम हैं…का उत्साह भरें !
मुसाफ़िर की कहानी…!
भारत की बेहतरीन नगरी मुंबई। यहाँ पूरा भारत बसता हैं। रंगबिरंगी सपनों की दुनिया सजाने भागते रहना यहाँ का दस्तूर हैं। मुंबई बड़ी लाजवाब हैं। यहाँ थमना मना हैं थकना मना हैं। बस चलते जाना हैं, दौड़ते जाना है। जिंदगी के बोझ को थामकर अपने वज़ूद को अपनी सांसों में भरकर…कहीं अपने लिए तो कहीं अपनों के लिए बस चलते जाना हैं।
आज अनुभव की बात रखने का मन हुआ। बंबई कईं बार आना-जाना हुआ हैं। लेकिन इस बार खार की चाल में जाने का अवसर मिला। बान्द्रा में रुकना था। दो दिन ही यहाँ रहना था। एक मित्र के कारण बारीकी से चाल देखना संभव हुआ था। एक छोटे से कमरे में बैठकर कुछ पल बिताने का मौका मिला। संघर्ष की कहानी को मैंने अपनी आंखों के सामने बडी करीबी से देखा। मन ही मन मैं ईश्वर का आभार व्यक्त कर रहा था। इन लोगों के सामने मेरा संघर्ष तो कुछ भी नहीं। मुझे तो ईश्वर ने फुर्सत और खुलेपन की आजादी से संवृत किया हैं। मेरे साथ तो शांति का करीबी नाता हैं। मेरे हृदय में ईश्वर से माफी चल रही थी…! शायद ईश्वर ने जो कुछ दिया हैं उसका शुक्रिया भी..! मैं संघर्ष का समर्थन करता हूँ लेकिन हमारे पास थोड़ा-बहुत संघर्ष हैं। हम सब थोड़े-बहुत आलसी भी हैं। थोडे संतोषी भी…!!
घर चलाने और काम के लिए की भागदौड के बारें में सुना। यहाँ जीना रफ्तार की तरह है, यहां जीवन का मतलब ही काम हैं। सुबह से ले कर शाम तक यहां हरपल धबकते रहना हैं। मैं यहां हृदय की धडकनों के साथ जिंदगियों का धडकना भी देखा रहा था। बंबई में बेशुमार धन हैं, पसीने से उसे रिझाना पडता हैं। धन की देवी को शायद यहीं अंदाज पसंद होगा…! लोग काम करते हैं साथ दिल खोलकर खर्चा भी करते हैं। यहाँ दूसरें के जीवन में अकारण दखल-अंदाजी नहीं हैं। यहां बस काम हैं, काम के सही दाम मिलें ईसमें आनंद हैं। अपनी मेहनत का आनंद।
यहां काम करने वालों के लिए काम हैं, दिल से काम करने वालों के लिए कामयाबी हैं। जीने के अंदाज ढूँढना और अपने कल को अपने अंदाज से संवारने की झिझक को पैदा करना यहीं मायामय नगरी मुंबई का कमाल हैं। पूरे भारत से लोग इस धरती पर अपना भाग्य आजमाने जीवन में कुछ करने के सपनों को साकार करने यहाँ की संघर्षशीलता को गले लगाते हैं। अभावों में से एक दिन वो सफलता ढूँढ लेते हैं। हमारे पास किसी की सफलता की बात जल्द आ जाती हैं, लेकिन संघर्ष की कहानी कौन सुनता हैं ? सफलता के बाद तो संघर्ष की थकान ही महसूस नहीं होती।
“आनंदविश्व सहेलगाह” में आज थोड़ा-बहुत चटपटा विषय युवाओं को जरूर प्रभावित करेगा। संसार संघर्ष से भरा हैं, जीतना बडा संघर्ष इतनी बड़ी जीत…! अनादिकाल से मानवीय प्रतिबद्घता में जब जब संघर्ष बढा है तब ही नयेपन का अवतरण हुआ हैं। मनुष्य ने संघर्ष से ही सुनहरे ईतिहास को रचा हैं। ये हम कैसे भूलें ?? यहाँ जिंदगियों के नित्य नए अध्याय शुरू होते हैं। कदम कदम में दम भरने वालें मुसाफिरों को सलाम-नमस्ते….साथ ही
सलामे मुंबई…!!
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Dr.Brijeshkumar Chandrarav ✍️
Gandhinagar.
Gujarat INDIA.
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