हम क्या बन सकते हैं ?
इन दो प्रश्नों के बिच की अद्भुत सफर को
“ये दिल हैं मुश्क़िल” फिल्म का टाइटल गीत लाजवाब हैं। एक पंक्ति जो मुझे आज के ब्लोग का सफर दे गई…” सफर खूबसूरत है मंजिल से भी…!” समय हैं तो जरूर सुनना। मनुष्य के रूप में हमें खुद को जानने की कोशिश करनी चाहिए। ईस खोज के बाद ही हम क्या कर सकते हैं ? क्या बन सकते हैं ? दुनिया को क्या कुछ दे सकते हैं ? ईसके बारें में सोचने की हमारी गति सहज रफ्तार पकड़ेगी। निश्चित ही हमारे लक्ष्य की ओर हमारी दौड…सही दिशा में हमारी दौड…बिना थकान वाली दौड…आनंद मार्ग की ओर ही ले जायेगी।
महान ईश्वर की अद्भुत जीव सृष्टि में सबकी अपनी-अपनी मंजिल होती हैं। यहाँ क्षणों की जिंदगी जीने वाली तितलियां, रंगों की बेहतरीन दुनिया अपने पंखों पर सजाकर मस्त हैं। यहाँ मधुमक्खी फूलों की खुशबों को चूसकर मधुर शहद को बनाने के काम में मस्त हैं। कहीं भंवरों की गूंज हैं तो कहीं पंछीओं के गीत। इस धरती पर सबकी अपनी यात्रा हैं। सबका सफर अनूठा हैं, शानदार हैं। यहाँ पंछी-प्राणी और मनुष्य के साथ फूलों की ओर तरूवर की भी यात्रा हैं। ईश्वर की समग्र जीवसृष्टी अनोखी यात्रा से भरी हैं। इन सब में हमारी मनुष्य के रुप में यात्रा कैसी होनी चाहिए ? क्योंकि हम अभिव्यक्ति के सरताज हैं। हम भाषा से विचार को स्थापित करने का कौशल व कौवत धरें हैं। मनुष्य के रुप में अपने और सबके उत्कर्ष की क्षमता धरें हुए हैं। विश्व में मनुष्य को ही सबके कल्याण की भावना से जीना होगा। सारी प्रकृति हमे विकसित करने हेतु युगो से पराक्रमित हैं। हमें सफर को बहतरीन बनाना हैं। मंजिल की परवाह किए बिना… बस हमें चलते जाना हैं।
“आनंदविश्व सहेलगाह” विचार से छोटी-सी बात रखकर अपने सफर को बहतर बनाने के प्रयास में हैं। विश्व में लाखो-करोड़ो ईन्सान हैं शायद किसीकी नजर में कोई विचार स्थापित हो जाए और नया कुछ दिखाई देने वाला आकारित हो….!! मुझे सफर के आनंद में ही मस्त रहना हैं…शायद आप भी यहीं सोचते होंगे !!
🐣 आपका ThoughtBird 🐣
Dr.Brijeshkumar Chandrarav
Gujarat INDIA.
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09428312234
बहुत सुंदर ़
Super
बहुत ख़ूब