THE RADHAKRISHNA.

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 The Highest feeling of love.

इश्क के नूर में डूबके पश्मीना हो गए…!!




पश्मी यानी ऊन wool. नूरेजहाँ कश्मीर के पर्वतीय प्रदेश में ये बेहतरीन उन पाने के लिए भेड़-बकरियों को एक ऊँचाई पर ले जाना पडता हैं। वहाँ रहने के बाद उस भेड़-बकरियों पर जो ऊन पाया जाता है वो बहुत ही महंगे दामों में बिकता हैं। उससे बनीं कश्मीरी शाल तो बेशुमार कीमती हैं। प्राकृतिक रूप से सर्दी के कारण साथ ही उस प्राणी की अंदरुनी ताकत से ये बदलाव ऊन में दिखाई पडता हैं। ईश्वर की प्रकृतिगत दुनिया में सैद्धांतिक आधार पर कोई पडाव का महत्व हैं। उच्चतम शिखर पर पहुँचने का प्रयास ही बेहतरीन निर्माण के लिए कारणभूत हैं। ये बदलाव ऐसे नहीं होता…इनमें शामिल हैं कुछ पाने के प्रयास। अपनी पहचान से ऊपर उठकर नई पहचान बनाने का पागलपन।

एक हिंन्दी अल्बम सोंग की कुछ पंक्तियों ने मुझे आज का ब्लोग लिखने के लिए विवश कर दिया। “रब ने मिलाई धडकन” सोंग देवरथ शर्मा ने गाया हैं।बहुत ही सुंदर गीत हैं, सुनने का और उस गीत की फिलसूफी को समझने का आनंद भी लेना। इश्क की खूबसूरती ही बदलाव हैं..! ये भी ईश्वरीय स्पर्श की करामात हैं। भीतरी बदलाव की अवस्था ऐसे नहीं होती। तपना भी है, तड़पना भी, ढलना और ढालना भी हैं, बदलना और बहना भी…! कुछ नये आकार को धारण करने का नाम ही इश्क हैं। मनुष्य के रुप में हमें प्रकृति के मार्गदर्शन में या तो प्रकृति के बदलाव को महसूस करके जीने की आदत डालने का प्रयास करना चाहिए। वही हमें भीतरी आनंद की सहलगाह करवाने सक्षम व समर्थ हैं।

प्रेम-इश्क-समर्पण-बदलाव की बात करे और राधा-कृष्ण की बात न हो ऐसा हो ही नहीं सकता। कृष्ण जब गोकुल छोडकर जा रहे थे। तब आखरी बार वो राधा को मिलने जाते हैं। राधा बहुत ही व्यतीत हैं, राधा तडपती हैं। वो कृष्ण को देखते ही भला-बुरा जो कुछ मन में आया वो क्रोध में आकर कहने लगती हैं। “तुम मुझे छोड़कर जा रहे हो ? तेरे वादें वो यादें कैसे भूलें, मेरी परवाह किए बिना जाने की बात तुने कर भी कैसे ली ?” कृष्ण मुह फेर लेते हैं, राधा ओर क्रोधित होकर चोधार आंसुओ से बरसती हैं। थोड़ी देर बाद कृष्ण राधा के सामने अपना मुंह करते हैं। ये क्या हुआ ? आंसु भरे कृष्ण का आधा शरीर राधा बन चुका था…!! इस दृश्य को देखते ही राधा अचंभित व शांत हो गई। राधा के सारें प्रश्न सारी अपेक्षाएं समाप्त हो चुकी थी..!! बचा था एकमात्र अद्भुत-अदम्य बदलाव। परस्पर का अतूट-असीम स्नेह का अदृश्य बंधन ही तो बचा था अब..!! इसे हम अद्वैत कहें Extreme level feelings of love कहें। राधा-कृष्ण का प्रेम इसीलिए तो शाश्वत सीमांकन को अंकित करने योग्य बन गया हैं। आज भी प्रेम की उच्चतम अवस्था के धनी राधाकृष्ण ही तो हैं।

महान ईश्वर हमें अलौकिक अवस्थाएं देते हैं। हमें अवस्थाओं के पडाव को पार करते हुए, कई नए पहलूओं से गुजरते हुए पश्मीना के बहुमूल्यन को धारण करने का करतब सिखना हैं। आनंदविश्व सहेलगाह कुछ ऐसे ही पडाव से गुजरती हुई “प्रेमउर्जा” से राधाकृष्ण अनुभूत संचरण प्राप्त करें इस शुभ कामना के साथ आपका…!!

ThoughtBird 🐣
Dr.Brijeshkumar Chandrarav✍️
Gandhinagar, Gujarat.
INDIA.
dr.brij59@gmail.com
09428312234

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