The RAMA for world

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 ।। रामो राजमणि: सदा विजयते  ।।

Commitment and Responsibly is equal to RAMA.

RAMA is Ragulation and RAMA is consciousness.

सभी को रामजन्म दिन की शुभकामनाएँ। जहाँ राम हैं वहाँ विजय हैं। राम हैं वहाँ चैन हैं, सूकून हैं। और जहाँ राम है वहीं मर्यादा हैं। राम हैं वहाँ सुराज्य और सौभाग्य हैं। भारत वर्ष की आत्मा राम हैं। इसीलिए घट-घट में राम व्याप्त हैं। भारतवर्ष की धडकन में राम धडक रहे हैं। युगों से राम हृदयस्थ हैं। सनातन धर्म की दृश्य पहचान राम हैं।

मनुष्य के रूप में अपना अस्तित्व क्या है ?

अपना दायित्व क्या हैं ?

इन दो प्रश्नों के जीवनानुभूत उत्तर राम हैं। जीवन मूल्यता की मर्यादा राम हैं। इसलिए ही शायद हम उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम कहते हैं। सनातन संस्कृति में श्रीराम यानि उत्तरदायित्व की प्रमाणभूतता के शिखर हैं। राजा का धर्म अपने पारिवारिक संबंध बनाए रखकर कैसे निभाया जाय उसका  एकमात्र उदाहरणीय चरित्र राम ही हैं। सारी सृष्टि में ऐसा चरित्र कहीं नहीं हैं। भारतवर्ष की सिमास्तंभीय परंपरा में श्रीराम शिरमोर हैं।

श्रीराम ही नियमन और सजगता हैं। मनुष्य के रूप में हम भी अपने कर्म के प्रति कर्तव्यबद्ध हैं तो Regulations and consciousness सहज ही हमारे भीतर भी प्रकट हो सकते हैं। श्रीराम समर्थ ही इसलिए है कि वो सम्यक दृष्टि के उच्चतम शिखर थे। नियमन और सजगता से मर्यादा जन्म लेती हैं। और मर्यादा ही सम्यक जीवन का आधार हैं। रामजी का जीवन हमारे भीतर सख्य को संवर्धित करता हैं। विश्व सख्यता से ही शांतिपूर्ण रहेगा। मनुष्यत्व की कीमत शांति से ही संभृत हैं। peacefulness is the one of the fundamental right. 


रामजी के जीवन में आए सभी चरित्रों के साथ उनकी सम्यक प्रेम दृष्टि रही हैं। मनुष्य के रूप में हमें भी सबका प्रेम, सबका आदर चाहिए। इसके लिए सख्य बांटने की भी आवश्यकता होगी। रामजी का पूरा जीवन मनुष्यत्व प्रकट करने का जीवन ग्रंथ हैं। इसे धर्मग्रंथ कहने से भी में पीछे नहीं हटता। क्योंकि धारण किया हुआ धर्म ही मानवीय वर्तनी हैं। हृदय की आवाज ही धर्म की भाषा हैं। इसे वैयक्तिक रुप से धर्म को धारण करने वाला ही सून सकता है। रामजी उस हृदय की भाषा के दृश्यमान दस्तावेज हैं। हमें रामजी के जीवन से यहीं आवाज सुनाई पडती हैं।

रामजी भौगोलिक सीमाओं से परे, वैचारिक धर्म बंधनों से परे का जीवन का समत्व संगीत हैं, इसे में रामत्व संगीत कहता हूँ। रामत्व ही समत्व है। ईसीलिए इस संगीत पर मनुष्य मात्र का अधिकार हैं। मर्यादा का पालन करते-करते आनंद विश्व की सहेलगाह को रामं शरणं गच्छामि के साथ दमदार बनाए यही उम्मीद के साथ…!

श्री रामचंद्रचरणौ शिरसा नमामि।


Your Thought Bird 🐣
Dr.Brijeshkumar Chandrarav 

Gandhinagar, Gujarat.

INDIA.

dr.brij59@gmail.com

09428312234


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3 thoughts on “The RAMA for world

  1. राम जन्म की खूब-खूब शुभकामनाएं

  2. Jay shriram

  3. Ramji ki jay