Mother Language care us same as our Mother.
मातृभाषा कैसे हमें पोषित करती हैं ?
मनुष्य का सबसे बेहतरीन करतब भाषा हैं। अन्य प्राणीओं की तुलना में हमारे पास विचार प्रकट करने का जरिया “भाषा” हैं। ईस खोज के कारण ईश्वर की प्राकृतिक सृष्टि में हमारा उत्कृष्ट प्रदर्शन रहा हैं। हमारी कल्पना को हमारे Emotions को मूर्तिमंत करने व प्रकट करने का कौशल हमें मातृभाषा ने दिया हैं।
एक बच्चा इस धरती पर जन्म लेता है तब से वो भाषा के संपर्क में आता हैं। शारीरिक विकास के लिए माँ का दूध जरुरी हैं वैसे मानसिक विकास के लिए मातृभाषा हैं। जब हमने पहला शब्द बोला होगा तब परिवार में खुशिय़ों का माहोल छा गया होगा। सभी का ये अनुभव हैं। मुझे भाषा सिखाने के लिए बडे भी छोटे बन जाते थे। खुशी से पागल हो जाते थे। ये मातृभाषा की कमाल हैं। हमारी सक्षमता के लिए मातृभाषा बीज रूप हैं। आज हम जो आकारित हैं… हमारी भाषिक क्षमताएं, हमारी ज्ञान संपदा मातृभाषा से विस्तरीत हुई हैं।
मानव सभ्यता का जो भी विकास हुआ ये मातृभाषा के कारण ही हुआ हैं। आज 21 फरवरी विश्व मातृभाषा दिन के रुप में मनाई जाती हैं। हमारे गुजरात में ग्रंथ का अद्भुत स्वाभिमान सिद्धराज जयसिंह और आचार्य हेमचंद्राचार्यजी ने प्रकट किया था। आज भी उस दिव्य घटना का जिक्र हो रहा हैं।
मातृभाषा को महसूस करना हैं। हमें भाषा में जीना हैं। हमें विकसित भी मातृभाषा की गोद में ही होना हैं। अपनी ही भाषा को प्रेम करना हैं। भाषा से ही बौद्धिक प्रकटता के आशीर्वाद प्राप्त करने हैं।
भाषा चिरंतन हैं और जीवंत भी हैं। युगों से मानव सभ्यता की सांस्कृतिक धरोहर को संजोए हुए हमारी मातृभाषा कालजयी अस्तित्व से अडिग हैं। “आनंद विश्व सहेलगाह” भी भाषा के जरिए वैचारिक एकत्व के लिए प्रयत्नवंत हैं।
सनातन-शाश्वत सत्य विचार की बात रखकर कर्तृत्व आनंद मैं आपका ThoughtBird Dr.Brijeshkumar 😊
09428312234
Gandhinagar, Gujarat
INDIA.
dr.brij59@gmail.com.
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ખૂબ સરસ 👍👍
માતૃભાષા દિવસ ની શુભેચ્છાઓ…..સર..
વાહ ભૈયા
ખૂબ સરસ…
Nice