The man is Thinker…who is never without think ? !
विचार के बग़ैर कोई कैसे जी सकता हैं ?
महान ईश्वर ने हमें विचार की येसी बख़्शीश देदी हैं कि हममें दुनिया को अचंभित करने का सामर्थ्य हैं। विश्व का या मानवसृष्टि का कल्याणक विचार हमारे भीतर पलता है तो कभी न कभी वो सादृश्य रूपांतरण की गति को प्राप्त करेगा ही। और आकारित भी होगा। सपनों को साकार करने विचार की ही तो आवश्यकता हैं !!
आज जो जगत हम अनुभूत कर रहे हैं, वो किसी न किसी विचार की ही फलश्रृति की कलाकृति हैं। मनुष्य सहजता से विश्व को नयापन दे कर सँवार रहा हैं। युगों से ये कार्य हो रहा हैं। समय की मर्यादाओं को तोड़कर अजीब किस्म की शोध-अनुसंधान की रफ्तार कभी कम नहीं हुई। इन सब के पीछे ईश्वर की विचार कर्मकता गतिमान हो कर आवृत्त हैं। हवा की तरह, प्रकाश के किरनों की तरह, आवाज की सरसराहट की तरह अदृश्य होकर भी हमारे भीतर कुछ करने का होंसला बनकर उभर रही हैं।
मनुष्य के रुप में एकमात्र विचार के ही जरिए हमने भाषा-भूषा,रहन- सहन, जीवन के तौर तरीके कहो की सुसंस्कृत जीवन पद्धति निर्माण की। कुछ भौतिक कुछ आध्यात्मिक पहलूओं की नित नवीनता कायम की हैं। भौगोलिक -अंतरिक्ष या वैज्ञानिक समृद्धीयाँ से हम संवृत-संतृप्त व संबल बने हुए हैं। सारा विश्व विचारतत्व के मूलभूत तत्व से ही सत्वशील गहराईयों को धारण कर पाया हैं। आनंद है ईसका…awesome !!
आनंदविश्व सहेलगाह Blog येसे ही अद्भुत विचार के बल पर उत्साह के कदम भरने को उत्सुक हैं। हमें भी दुनिया को कुछ देना होगा। ये हमारा ईश्वरीय दायित्व हैं। जीवन जीवित तो हैं। उसे जीवंत बनाना हैं। एक विचार बीज मुझे भी इस धरती पे उगाना हैं। दूसरें का भला सबका भला बने। मैं सबका सब मेरे बनें। एक येसा विश्व जो निश्चिंत हो कर जीये आनंद की अमर्यादित संभावनाओं में जीये। तो शुरू करें एक आनंद मार्ग की यात्रा विचार के जरीए…!!
Your ThoughtBird Dr.Brijeshkumar.
Mo.09428312234
Gujarat, INDIA.