Who is KRISHNA.
Extreme struggle and Responsible action.
पांच हजार वर्ष से भी पहले भारतवर्ष में जगद्गुरू कृष्ण का अवतरण हुआ। मानव सहज जीवनरीति और जन्म परंपरा का एक घटक बनकर कृष्ण का जन्म हुआ। जन्म से ही संघर्ष से मजबूत नाता बनाकर भी बंसी बजाता रहा कृष्ण !! जन्म से ही प्राकृतिक रूप से सभी जीव को माँ मिलती हैं। ईश्वर की अदृश्य प्रेम परंपरा का दृश्य अस्तित्व माँ हैं। कृष्ण को उससे दूर होना पड़ा। नई जगह, नया वातावरण और अनजाने लोंगो से कृष्ण ने सहज अद्भुत नाता कायम कर लिया। कृष्ण के जीवन में एक राधा आई…प्रेम की जीवंत मूर्ति राधा। कृष्ण- राधा का पारस्परिक प्रेम सृष्टि का उच्चतम शिखर हैं। राधा से सुबह राधा से शाम फिर भी कृष्णा के जीवन में से राधा अदृश्य हो गई। पारिवारिक संघर्ष का तो समंदर कृष्ण ने हसते हसते पार कर लिया। बंसी की सूरावालियों में कृष्ण की पीडा के पडघम शांत होते रहें। कृष्ण ने जीवन का संगीत बजाया हैं। जीवन का आनंद बंसी के जरिए स्पंदित किया हैं। आज भी कृष्ण की अप्रतिम भक्ति से वो सूर महसूस कीये जा सकते हैं। कृष्ण अनुभूत जीवन का आधार हैं।
मानवमन और प्रकृति का सौंदर्य बोध कृष्णा ने बडी सतर्कता से किया हैं। ज्ञान-कर्म और जीवन की अप्रतिम फिलसूफी कृष्ण ने सिखाई हैं। निमित्त भाव और समपर्ण की अद्भुत मूर्ति कृष्ण हैं। जहाँ खडे हैं वहाँ सौंदर्य स्थापित करना वो ही कृष्ण जीवनामृत हैं। अप्रत्यक्ष हो कर भी आज कृष्णा की प्रेममयता जीवंत हैं। आज भी कृष्ण प्रेममय ह्रदय का स्वामी हैं। अकल्प आकर्षण का बीज कृष्ण ही हैं।
आनंदविश्व सहेलगाह में कृष्ण का जीवन दर्शनशास्त्र आज भी प्रस्तुत रहेगा। कृष्ण की हरेक हरक़त में जीवन की मस्ती हैं। उनके संगीत में नर्तन में भी अलौकिक आकर्षक हैं। युद्ध में भी वो बुद्ध हैं, संबंध में वो शुद्ध हैं, प्रेम में वो नितान्त समर्पण से प्रतिबद्ध हैं। अपौरुषेय कृष्ण समस्या से परे आनंद पुरूष है। हमारी जीवनयात्रा कृष्ण की आनंदानुभूति से संबल बने यही शुभसंकल्पना के साथ आपका सहपंथी…!!
ThoughtBird Dr.Brijeshkumar.💕
Gujarat, INDIA
09428312234.
અરવલ્લી નું ગૌરવ છે, Dr. બ્રિજેશભાઈ તેમને યોગ્ય તક નો અભાવ તંત્ર ની ઘોર ખામી દર્શાવે છે.