Only Trying is in our Hands.
प्रयास ही हमारे हाथ में हैं।
महान ईश्वर ने अपनी दुनिया का बखूबी अपनी ही मर्जी के मुताबिक सृजन किया हैं। मनुष्य का सृजन करने के बाद शायद उनकी खुशी का ठिकाना न रहा होगा। मन-बुद्धि दे कर ईश्वर ने सोच ही लिया होगा मैंने इन्सान सर्वशक्तिमान बना दिया हैं। संसार में सुंदरता निर्माण करने वो अपनी सारी शक्ति लगा देगा। स्वार्थ से परे प्रेम-आनन्द-समर्पण-सहज-सरल व्यवहार से मुझे भी आनंदित करता रहेगा। प्रकृति से अनुराग और सामंजस्य स्थापित करके पारस्परिक अवलंबन में अपनी खुशहाल जिंदगी जियेंगा।
लेकिन कुछ अप्राकृतिक बढ़ता रहा.. अमानवीय आकारित होता रहा और हम वैयक्तिक-सामूहिक-संस्थानिक-प्रान्तिक-भाषिक न जाने कितने भेद और अलगाव में फंसते गए। ईश्वर की ही सृष्टि की अधिकारिता में कितने युद्ध आपस में करते रहेंगे ?! ईसमें मनुष्य के रुप में मेरी कुछ छोटी सी भी जिम्मेदारी होगी क्या ?! हम अपने कितने स्वार्थ पूर्ण करेंगे !! आप सुकुन से बैठे हो तब सोचना सबसे बेहतरीन विचार जरुर आएगा। और न आए तो आनंद विश्व सहेलगाह को पढ़ना बंध.. लेकिन मेरा विश्वास है जब आत्मिक आवाज सुनाई देगी तो बहतरीन के सिवा कुछ न होगा।
महान ईश्वर ने हमें कर्म दिया हैं। जीवन के लिए प्रयास दिये हैं। उसके जरिए एक सोच आकारित होती हैं। उससे जुड़ाव महसूस होता हैं। कारवां येसे ही विकसित हुआ। हम एकत्व के विचार से विचलित हुए तभी तो कारवों में बंटते गए। और आज कितनी भिन्नार्थकता से संवृत हो गए ? या समृद्ध ?
आनंदविश्व की वैचारिक सहेलगाह में हम कुछ पल विश्व के शांतिपूर्ण पहलू के बारें में थोड़ा-बहुत सोच-विचार करें। हमारा बीज रूप छोटा-सा प्रयास भी कुछ अंतरंग निर्माण करेगा। मैं तो इस बात पर दृढ़संकल्पित हूं। धरातल पर ऐसी कोई असंभव समस्या है ही नहीं। कमी कुछ प्रयास की हैं। ईश्वर हमारें प्रयास को कैसा नाम देंगे कौन-सा मोड देंगे मुझे पता नहीं।
ईश्वर ने हमे सोचने का कार्य करने का अद्भुत शस्त्र और शास्त्र दिया हैं। ईसको हम सामर्थ्य कहे तो भी गलत न होगा। Let’s we start do good be good, Think and action.
एक छोटे-से प्रयास में आपका डॉ.ब्रजेशकुमार
Gujarat, INDIA 09428312234.
Very nice explanation Dear Dr.Brijeshbhau