आनंद प्राप्त करने का आसान तरीक़ा कुछ न कुछ देने की हरकत में हैं।
आनंद सहज हैं, हमें सहज बनना होगा।
Let’s we start to walk this way.
सबको आनंद पसंद हैं। हमारी सेहत से लेकर हमारी वैचारिक उडान भी आनंद क्षेत्र से निकलती हैं। ये जो आनंद हैं न,वो ही मनुष्य के रूप में हमें सबसे बेहतर साबित कर सकता हैं। विश्व में कई सफल व्यक्तिओं की जीवनरीति में आनंद की अहमियत सबसे ज्यादा हैं। ओर ये आनंद दूसरों का विचार करने में, किसीको कुछ न कुछ देनें में निहित हैं। हमारे पास जो कुछ हैं…शब्द हैं, विचार हैं, धन-दौलत हैं या खुशी के पल हैं। दूसरें के चेहरे पर मुस्कान दे सके येसा कुछ भी हमारे आनंद प्राकट्य का अवसर हैं।
एक बच्चा सहज हैं। क्यों सहज हैं ? क्योंकि उसे दुनिया से सीखना हैं। नये वातावरण में अपनी जिज्ञासा को संतुष्ट करना हैं। बच्चा सभी को हसतें हुए आशावंत बनकर देखता हैं। “वो मुझे देखकर खुश होता हैं इसलिए मुझे भी हंसना है।” ऐसी कुछ कल्पनाएँ बच्चें के अंतरंग दिमाग में होगी क्या ?? हम तो अब बच्चें नहीं रहे।
आनंदविश्व सहेलगाह को बचपना चाहिए। हमारी बुद्धि भले बढ गई हो। वैचारिक मतभेद के जमेले से गिरें हुए हो। लेकिन आनन्द प्राप्त करना है तो सहजता से बच्चा बनकर कुछ पल बचपने मे बिताने ही पड़ेगें। ठीक हैं ना ?
Your small ThoughtBird is small child till this moment.
Dr.Brijeshkumar.
09428312234 Gujarat, India.