श्रद्धा की पराकाष्ठा क्या होती हैं ?!
ईस धरातल पर ईश्वर भी किसी न किसी को मिले हैं। भारतवर्ष तो ऐसे कई उदाहरणों से समृद्ध है। कहीं एकनाथ को श्रीखंड्या के रुप में, कहीं नाम्बी को गणेश के रूप में, कहीं नृसिंह को कृष्ण के रूप में, प्रह्लाद को विष्णु के रूप में या शबरीमाँ को राम के रूप में ईश्वर की दृश्य अनुभूति हुई हैं। ऐसी तो कई घटनाएँ भारतवर्ष की आध्यात्मिक धरोहर का साक्षत्व बयां करती हैं। मनुष्य के रूप में हमें अपना भी अनुभूत विश्व खडा करना हैं। इतिहास के पन्नों में हमारी साक्ष्य अनुभूति का कोई मोल हो न हो। ईश्वर की आकारित योजनाओं मे मैं भी सम्मिलित हूँ। जन्मदत्त मेरा भी छोटा सा आनंद क्षेत्र हैं। मेरा भी अतूट-असीम श्रद्धा बल हैं। This is our extreme TRUST.
उसी प्रेमबीज से हम संवृत-संतृप्त हैं। ईश्वर की अमाप-असीम शक्तिसंपन्नता हमें ह्रदय के उच्चतम भावों से भर देती है। हमे बस अनुसरण का मार्ग चयनित करना है। बाकी सब उनको ही सौपकर निस्संदेह होकर निश्चिंतता से आनंदविश्व सहेलगाह को बहतरीन बनाना है।
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