अद्भूत, अदृश्य ईश्वर की रंगत !! संभव संयोग की ईश्वर निर्मित सृष्टि हैं। आधारभूत कुछ भी न होने के बावजूद मानवमन श्रद्धेय रहा हैं। और इसी श्रद्धा के बल से काफी कुछ प्राप्त भी होता हैं। जीवन को आशावंत और शक्यताओं से भरा देखने वाले मानवों ने दुनिया को बेहतरीन बनाने मे काफी योगदान दीया हैं। ईश्वर अदृश्य होकर भी दृश्य सपने साकार करवाता हैं। इसे हम सफलताएँ और प्राप्ति के नाम से जानते हैं।
दुनिया में अच्छा हो रहा हैं। इसका मतलब ही ईश्वर बेहतरीन को मानव के जरीए धरातल पर मूर्त रूप से स्थापित करता हैं। हमारे मन को अचंभित करने वाली घटनाओं का असंभव को संभव बनाने वाली घटनाओं का घटित होना भी ईश्वरीय संकेत हीं हैं। या तो ये ईश्वर की अदृश्य करामाती हैं। वो अदृश्य हो कर भी दृश्य सृष्टि का नियमन बखूबी कर रहे हैं, निमित्त हम बन रहें हैं। इसका हमें आनंद लेना होगा। ईश्वर की अमाप-असीम शक्ति को धारण करने हेतु उनकी ही ओर मुड़कर येसी कृपा के लिए आशावंत बनना पड़ेगा। आनंदविश्व की सहेलगाह के लिए ये अदृश्य श्रद्धाभाव को दृढ करना चाहिए।
हजारों सालों से दुनिया में वैचारिक-वैज्ञानिक-सामाजिक और सांस्कृतिक बदलाव को लेकर मनुष्य के रूप में कोई न कोई निमित्त बना हैं। उनकी बहतरीन उडान से हम लाभान्वित हुए है। लेकिन ये सब ईश्वर की ही उम्मीदों का साकार रूप हैं। प्रेम आनन्द-समर्पण-सहज-सरल जीवन रीति से असामान्य सात्त्विकता प्रकट होती है।विश्व ऐसी असंभव प्रकटता से भरा हुआ है। हमें संभावनाए बनना हैं..!! आनंदविश्व के लिए कुछ न कुछ निर्मिति का छोटा उपकरण बनना हैं…!!
हमें कुछ पता नहीं की हम कहाँ काम आएगें ? कौन सी उडान हमारें नाम लिखी हैं ?
आनंदविश्व के लिए मेरा भी कोई कर्तव्य तय हो। ओर ये तय करने की बात ईश्वर के हाथ में हैं। हमारे पास साक्षी भाव हैं। मैं जीवित हूं। मेरे श्वास चल रहे हैं। मैं बोल रहा हूं। सोच रहा हूं। हे ईश्वर…! मेरे द्वारा आप जो कुछ करवाना चाहते हो वो कृपादृष्टि बनाए रखें।