अद्भूत- अद्वितीय-अकल्पनीय- अविस्मरणीय ..!!
परम पूज्य प्रमुख स्वामीबापा का जन्म शताब्दी महोत्सव।
ईश्वर की निर्मिति १९२१ में प्रमुख स्वामी के रुप में एक अद्भुत महामानव का निर्माण करती हैं। अकल्पनीय सेवाभाव से भरें स्वामीनारायण संप्रदाय के प्रमुख संत के रुप में कार्य करने वाले अलौकिक शक्ति पुरुष का अवतरण हुआ। ईश्वर की मर्जी से अपना कार्य बखूबी निभाने वाले प्रमुखस्वामीजी ने अकल्पनीय नेतृत्व स्थापित किया। पूरे विश्व में एक हजार से ज्यादा मंदिरों का निर्माण उनकी ही दृढ इच्छाशक्ति से पूर्ण हुआ। सामान्य व्यक्तित्व असामान्य सात्त्विक संतत्व प्रकट करता हैं। भारतवर्ष को नया मार्गदर्शन करता हैं। विश्व में नया अध्याय जोडता हैं, एक नई राह का निर्माण होता हैं, जीवन को सहजता से जीने का एक नया अंदाज प्रमुख स्वामी के रुप में हमें मिला हैं। विश्व को मिला हैं..!!
आनंदविश्व की ओर जाने के लिए वैचारिक कर्मठता की भी आवश्यकता हैं। आज पूज्यनीय स्वामीबापा की जन्म शताब्दी अकल्पनीय व्यवस्थापन और लाखों लोगों की उपस्थिति में मनाई जा रही है। अहमदाबाद में प्रमुखनगर बनाया गया हैं। बरसों के आयोजन के पश्चात, लाखों स्वयंसेवकों व संतो की कडी मेहनत अनोखापन स्थापित कर रही हैं। विश्व में आयोजना के रूप में स्वामीनारायण संप्रदाय का कोई पर्याय नहीं हो सकता। आज दैनिक पचास हजार स्वयंसेवको का सेवाभाव लाखों लोगों का व्यवस्थापन अद्भुत दृश्य भाव निर्माण करता हैं। व्यवस्थापन में स्वामीनारायण धर्म का मोल नहीं हो सकता। Truely the great achievement.
अध्यात्मिक धरोहर की झड़े इतनी गहरी हैं इसी लिए तो समर्पण भाव की श्रेष्ठता विशेष हैं। मानवशक्ति के संयोजन में शुद्धि और सात्विकता कारणभूत हैं। प्रमुख स्वामीजी ने ये संस्कार स्थापित करने में पूरा जीवन समर्पित कर दिया। आज शिष्य समुदाय उनके शताब्दी जन्मोत्सव के अवसर भाव समर्पण- ऋणात्मक भाव से कर रहे हैं।
महान ईश्वर ये ऋणानुबंध के अकल्पनीय विचार बीज से ही सराहनीय कार्य के प्रति हमारें कदम उठवा रहें हैं…!! आनंदविश्व की सहलगाह ईश्वर के ही अकल्पनीय अनुबंध पर कार्यरत हो। इस आनन्दमय साक्षीभाव का निर्वहन करके हमारी कल्याणक कल्पनाएँ एक नई उडान भरें।
आपका विचारमित्र…डॉ.ब्रजेशकुमार 9428312234.
🙏
super thought