वैश्विक युवाकाल की प्रेमशक्ति ईश्वरीय वरदान !!
हम ईश्वरीय शक्ति व नितांत आनन्द की बात करते कुछ वैचारिक कदम चल रहे हैं। में लिख रहा हूं आप पढ़कर एकात्म विचार कल्पना के साक्षी बन रहे हैं। ईश्वर ही विचार का जन्मदाता हैं। वैश्विक स्तर पर युवाओं को विजातीय आकर्षण केंद्र के रूप में सब देखते हैं। इस आकर्षण को ईश्वरीय स्पर्श है क्या ? उम्मीद-साथ-पागलपन कुछ रोमांचक पल से भरी जीवंतता गलत तो नहीं। लेकिन जब स्वार्थ वृत्ति का ही अनुसरण बढ़कर उभर आए तो ये गलत हैं। ईश्वर स्वयं निस्संदेह नितांत और समर्पण भाव प्रकट करने वालें प्रेम का पुरस्कर्ता हैं। ईश्वर ने स्वयं पारस्परिक प्रेम बंधन में खिलने प्रकृति का निर्माण कार्य किया है। ईश्वरीय स्पर्श से ह्रदय के पूर्ण भाव से जो संबंध स्थापित होता है वह ईश्वर को भी शामिल करेगा। ईश्वर की यह सख्यानुभूति कहलायेगा।
वैश्विक स्तर पर कृष्ण की स्वीकृति-कृष्ण की बौद्धिक क्षमता- मानव मन को मार्गदर्शित कर रही है। इसका एकमात्र कारण कृष्ण का प्रेम आनन्द है !! कृष्ण का हर संबंध दिव्य रूप है !! कृष्ण का आचरण समावेशी है !! कृष्ण का जीवन ही समर्पण है। योजनाकार ईश्वर कृष्ण के रूप में हमारा मार्गदर्शन करते है। युवाकाल में आकर्षण दैहिक रूप से सहज भाव से प्रकट होता है। लेकिन इससे निर्माण होने वालें संबंध की गरिमा स्थापित हो सकती है क्या ?! मानव संबंध ही अनुभूतियों के अनुसरण का जिवनानुभूत आनन्द प्राप्त करने हेतु स्थापित होता हैं। हमें ऐसे आनन्द की प्राप्ति के लिए ओर ईश्वरीय स्पर्श से भरें संबंध के बारें में एक विचार करना चाहिए।
मानव के रूप में हमारी उम्मीद हो की वैश्विक समाज कल खुशहाल बनकर ईश्वरीय स्पर्श से भरा असीम आनन्दमय बनें !! आनन्द विश्व की परिकल्पना में मानव संबंध का भी महत्तम योगदान है। योजनाकार ईश्वर की अनुभूत सृष्टी 🌎 के अनुसरण से ह्रदय की विशालता प्रकट करते करते आनन्दमय विश्व की सहेलगाह को बेहतर बनाए !!! आपके कदमों से कदम मिलाने आपका डॉ•ब्रजेश 😊💕