सारा ब्रह्माण्ड ईश्वर की ही निर्मिति हैं – वो हर कण में पहले से ही मोजूद होगा !!
ईश्वर की सृष्टि में जन्म देने की प्राकृतिक व नैसर्गिक प्रक्रिया के हम निमित्त मात्र हैं। ईश्वर की बनाई ब्रह्माण्डिय गतिविधि निरंतर व निश्चित है। उसमें पहले से ही तय हुई नियमन ओर व्यवस्था हैं। नया आविष्कार करने की मात्र संभावनाएं हमें खोजनी होंगी। ईश्वर की ओर से सब मोजूद हैं। मनुष्य के रूप में हमारा प्रयास ही बहतरीन मार्ग के लिए पर्याप्त हैं। इसीलिए केवल survive जीवित होने से परे live जीवंत होना आवश्यक हैं। so I want to live. मुझे जीवंतता से भरी ईश्वरीय ज्ञान शक्ति की आवश्यकता है।
मनुष्य के रूप में हमारा यही कर्तव्य बनता है कि इस संसार को शब्द से, विचार से, मानव संसाधन के आविष्कार से ओर सुलभ सुरक्षित बनाए। ईश्वर की मोजूदगी शब्द और कृति मैं भी हैं। प्रकाश एवं पवन मेंं भी वो हैं। जल-स्थल में भी वो हैं। वनस्थली-सागर और आसमान में भी वो ही समाया हुआ है। आरंभ ओर अंत में, सृष्टि के अंश में भी कण कंकर मेंं भी प्रस्तुत हैं।
हमें अपनी जीवंतता से उसे महसूस करते करते कुछ नया मोड़ देकर अपनी ही जिंदगी को सजाये जाना है। साक्षी भाव एवं निमित्त भाव से कर्मकता को अंजाम देने का प्रयास करना है। इसके लिए ईश्वर हमें अच्छा मन ओर बुद्धि प्रदान करें यहीं हमारी प्रार्थना रहो। हजारों सालों से सृष्टि में कई आविष्कार हुये है। कोई न कोई व्यक्ति इसके लिए निमित्त हुआ है। हम सब भी इस दिशा में अपने आनंद विश्व की संकल्पना आकारित करने हेतु समावेशी विचारों से भर जायें।
समष्टि के स्वस्ति मेंं आपका सहपंथ सहेलगाही.. 😊.डॉ.ब्रजेश 😊💐
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