ईश्वरीय शक्ति वास्तविक व पूर्ण होती हैं !!
ईश्वर पूर्ण भी हैं। ईश्वर वास्तविक भी हैं। हमारी दुनिया में ये स्थिति समय के आधार पर अलग महसूस होती हैं। कभी वास्तविकता से हमें खूशी मिलती हैं। कभी पूर्णता से आनंद मिलता हैं। मनुष्य के रूप में हमें इन दोनों में स्थितप्रज्ञा से ही जीवन जीना होगा। वैसे तो हम Perfection ओर Reality में सबसे बहतर क्या ??
इसकी उलझन में ही अपना जीवन पसार कर देते हैं। जो ईश्वर का सृजन हैं उसका पूर्णतः स्विकार करना, इसमें हम दोनों स्थिति में आनंद प्राप्त कर सकते हैं। पूर्णता प्राप्त करने का प्रयास हमारे मनुष्यत्व को एक उच्चतम मोड एक अनोखा आकार देगा। परंतु सामने आई हर स्थिति का स्विकार हमें वास्तव से भी अनुबंध में रखेगा। जीवन की समयरेखा के आधार पर कोई भी स्थिति नियंता के द्वारा या अपने पूर्व कर्म के कारण घटित होती हैं तो उसका स्विकार आनंद पूर्वक करना है।
ईश्वर हमें यह सब सिखाना के लिए ही सुख-दुःख, आधि-व्याधि जैसी कई स्थितियों से हमारी भेंट करवाता हैं। शून्यता के प्रति गति करनेवाला ये सहजता से समझ जायेगा। मैं कौन हूँ ? मेरा जन्म मनुष्य के रुप में क्यों हुआ है ? मेरी कल्पनाओं को कौन उडान देता हैं ? मुझे सफलता से प्रशंसा ओर विफलता से निंदा कौन दिलाता हैं ? इस प्रश्नों के उत्तर हमें खुद सोचें। थोड़ा एकांत…!! थोड़ी हमारे स्वयं से बात…!! थोड़ी खूले मन से सत्य को स्विकार करने की चेष्टा हमें शाता देगी।
ईश्वर हमें आनंद विश्व में ईसी निर्लेप ओर निर्दोषता से सहलगाह करवाना चाहते होंगे…!! इस बात से न मेरा नूकसान है न कीसी और का… इससे मेरा और हमारा फायदा ही निहित है। आइए ईश्वर के निर्दोष प्रेमपंथ पर अपने दमदार कदमों से चलें… आपके साथ आपका डॉ.ब्रजेश 😊 💐