प्रकृति विश्व !!
प्रकृति यानी ईश्वर। हम सब प्रकृति के ही अंश है। ईश्वर की निर्मिति ही पंचमहाभूत कहलाती हैं। सारे विश्व में इन्ही आधार पर नियंता का नियमन हैं। हजारों साल पहले श्री कृष्ण ने ये बात भगवद गीता के माध्यम से हमें बताई है। प्रेम स्वरूप ईश्वर पारस्परिक अनुबंध-सख्य और नितांत एकमेव पारस्परिक निर्भरता कि बात का ही अनुमोदन करता हैं।
आज मानव मात्र को प्राकृतिक सांनिध्य मे जीना मुनासिब होगा। संताप से मुक्ति एवं जीवन के प्राकृतिक आनंद कि अनुभूति का ये ईश्वरिय मार्ग हैं। आनंद विश्व सहेलगाह का वैचारिक कदम समाज जीवन में नई चेतना का संचार करेगा ऐसा दृढ़संकल्प से लिखाई शुरू की हैं।
आनंद विश्व की सहेलगाह में आपका डॉ.ब्रजेशकुमार…!! 💐
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Gandhinagar Gujarat INDIA