हमारा राष्ट्र ।
राष्ट्र से बहतर कुछ भी नहीं है। एक व्यक्ति के रूप में हमें जो कुछ करना है देश को ध्यान में रखकर ही करना है। मेरी सुबह देश के लिए ही संभव हुई हैं ये भाव मुझे सामर्थ्यवान बनाने के लिए सक्षम हैं। मैं एक शिक्षक के रूप में अपने छात्रों को देख कुछ येसी राष्ट्र प्रति कर्तृत्व संभावनाएँ महसूस करते हुए आनंदित हूँ। मेरे पास आए हुए मासूमों से मुझे राष्ट्र गौरव की संस्कारिता प्रकट करवाने का उमदा कार्य निर्वाहन करना है। इस से मैं आनंदित हूँ।
जीवन का एक नया मोड लेखन से शुरू करता हूँ। संवेदन प्रकट करने का विनम्रतापूर्वक प्रयास हैं। राष्ट्र के संस्कार से राष्ट्र को अर्पित कर नए कदम उठाए जा रहा हूं। विचार यात्रा में आपका अभिवादन करता हूं।
कर्म धर्म सब राष्ट्र को अर्पित ये भाव में जीना भी मेरे आनंद विश्व की सहेलगाह हैं ईस धरातल पर आनंद विश्व की परिकल्पना में आपका डॉ.ब्रजेशकुमार !!
Your ThoughtBird
Dr.Brijeshkumar Chandrarav
Gandhinagar
Gujarat INDIA
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